देखने में देवता सदृश्य लगता है,
बंद कमरे में गलत हुक्म लिखता है|
जिस पापी को गुण नहीं गोत्र प्यारा हो,
समझो उसी ने हमें मारा है|
~रामधारी सिंह दिनकर
किसी भाषा के प्रचलित होने में अगर किसी का हाथ होगा तो वह हिंदी के कवि या लेखक का माना जाएगा। किसी भी भाषा के लेखक/कवि को भाषा का दर्पण यानी आइना कहा गया है।
कुछ ऐसे कवि/लेखक हुए हैं जिन्होंने अपनी कलाकारी द्वारा लोगों को मनोरंजन /सीख /कहानियां और ज्ञान बहुत कुछ दिया है।
इन्हीं में से कुछ ऐसे लेखक निम्नलिखित भी है :
1.महादेवी वर्मा
2.हरिवंशराय बच्चन
3.सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
4.सुमित्रानंदन पंत
5.रामधारी सिंह दिनकर
तो चलिए जान लेते हैं इनके बारे में थोड़ी सी जानकारियां
1.महादेवी वर्मा :
महादेवी वर्मा भारतीय कवयित्री है। यह छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इन्हें "मीरा" के नाम से भी जाना जाता है। आगरा में जन्मी महादेवी वर्मा खड़ी बोली, हिंदी में कोमल शब्दावली का प्रयोग करके पाठकों का मन मोह लेती है।
इनकी कुछ प्रमुख रचनाएं :
1.रश्मि
2.दीपशिखा
3.निहार
4.नीरजा
हरिवंश राय बच्चन हिंदी भाषा के कवि व लेखक थे| इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी का अध्ययन किया और बाद में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ रहे। हरिवंशराय बच्चन जी की बहुत सी आत्मकथाएं भी हैं,
जिनके नाम हिअ कुछ इस प्रकार:
*क्या भूलूं क्या याद करूं
* नीड़ का निर्माण फिर
*बसेरे से दूर
*दशद्वार से सोपान तक
इनके कुछ प्रमुख कृतियां जिनके आधार पर इन्होंने प्रसिद्धि पाई :
1.मधुशाला
2.निशा निमंत्रण
3. सतरंगिनी
4.खादी के फूल
5.सूत की माला
और आपने इनकी प्रसिद्ध कविता तो सुनी ही होगी :
"कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती"
इस कविता के द्वारा कवि लाखों लोगों को प्रेरित करने की शक्ति रखते हैं।
3.सूर्यकांत त्रिपाठी निराला : सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी को भी छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक स्तंभ माना जाता है। उन्होंने नई कहानियां, उपन्यास और निबंध लिखें, परंतु उनकी कविताओं ने अलग ही प्रसिद्धि बटोरी।
इनका जन्म बंगाल में हुआ परंतु बसंत पंचमी पर उनका जन्मदिन मनाने की परंपरा प्रारंभ हो गई। 3 वर्ष की अवस्था में माता का और 20 वर्ष में पिता का देहांत हो गया। पहले महायुद्ध (world war I) के समय जो महामारी फैली उसकी वजह से पत्नी मनोहरा देवी, चाचा, भाई एवं भाभी का भी देहांत हो गया। इसी कारण निराला जी का जीवन आर्थिक संघर्ष में बीता।
निराला जी ने अपने पहली रचना "जन्मभूमि" पर लिखी जो एक गीत था।
निराला जी की प्रसिद्ध कृतियां :
1.अनामिका
2.परिमल
3.गीतिका
4.कुकुरमुत्ता(mushroom)
5.चोटी की पकड़
6.जागो फिर एक बार
सुमित्रानंदन पंत का जन्म बागेश्वर जिले के कौसानी नामक ग्राम में 20 मई को हुआ। जन्म के 6 घंटे बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया। उनका पालन पोषण उनकी दादी ने किया और उनका नाम गोसाई दत्त रखा। शिक्षा प्राप्त करते हुए उन्होंने अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन पंत कर लिया।
कुछ वर्षों के बाद इन्हें आर्थिक संकटों से जूझना पड़ा और उसी के कारण इन्हें अपनी ज़मीन और घर बेचना पड़ा। कर्ज़ से जूझते हुए इनके पिता का निधन हो गया।
7 वर्ष की उम्र में इन्होंने कविता लिखनी शुरू कर दी थी। उनका संपूर्ण साहित्य "सत्यम शिवम सुंदरम" पर आधारित था।
*पुरस्कार :
1.पद्म भूषण
2.ज्ञानपीठ
3.साहित्य अकादमी
4.सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
*प्रमुख कृतियां :
1.पल्लव
2.चिदंबरा
3.ग्राम्य
4.नरक सफाई
5.तारा पथ
6.गुंजन
दिनकर जी हिंदी के प्रमुख लेखक कवि और निबंधकार थे।वे आधुनिक युग की श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित है। इनका जन्म 23 सितंबर 1960 में बिहार के बेगूसराय जिले में हुआ था। दिनकर जी स्वतंत्रता पूर्व एक विद्रोही के रूप में स्थापित हुए और स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने लगे।
दिनकर जी की कविताओं में विद्रोह, आक्रोश और क्रांति पढ़ने को मिलती है और दूसरी ओर कोमल श्रंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है।
बेगूसराय में जन्मे दिनकर जी पटना विश्वविद्यालय से उर्दू और अंग्रेजी का गहन अध्ययन करने के बाद एक विद्यालय के अध्यापक हो गए।
*पुरस्कार :
1.पद्म विभूषण
2.साहित्य अकादमी
3.भारतीय ज्ञानपीठ
*महान रचनाएं :
1.रश्मिरथी
2.परशुराम की प्रतिज्ञा
3.भूषण
4.नीम के पत्ते
5.मिर्च का मज़ा
महा कवि दिनकर जी के काव्य की प्रेरित करने वाली पंक्तियों में से कुछ पंक्तियां :
1.जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
2.सदियों की ठंडी बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है।
दो राह समय के रथ का घरघर नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
Amazing blog
ReplyDeleteThank you🤟🤟
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