रवीश कुमार : बोलना ही है
पृष्ठ संख्या : 211
लेखक : रवीश कुमार
कीमत। : 250
कुल अध्याय : 12
खूबी :रचनात्मक, रोचक बातें, पन्नों पर लिखा आज
रैमोंन मैगसेसे अवॉर्ड 2019 से सम्मानित
नाम से ही जानदार
यह किताब उन व्यक्तियों के लिए खास लिखी गई है जिन्हे राजनीति में दिलचस्पी हो। जिसे दुनिया में हो रहे अच्छे बुरे की समझ हो। जिसे चीजों को परखना आता हो जो होने वाली चीजों से चौकन्ना रहे।
किताब के बारे में :
इस पुस्तक में समकालीन भारत की वस्तुस्थिति की सटीक आलोचना की गई है। आज के समय में ऐसी पुस्तकों की जरूरत थी।
2 . हर एक पन्ने में खतरों को आगाह किया गया है जिससे आजकल हम घिरे हुए हैं ।
3.यह पुस्तक एक छोटी सी पहल है लोगों को आगाह करने की। चीजों को ठीक ढंग से सोचने की । सकारात्मक पहलू पर ध्यान देने की ।
4. इस पुस्तक को आज के दौर का आईना कह दू तो शायद गलत नहीं होगा ।
5.रवीश कुमार एक बेहतर दुनिया तलाश करने की बात करते हैं। समस्या बताया , साथ में उन समस्याओं का समाधान बताते हुए दोनों पहलु दिखा दिए ।
6.यह किताब इंसान को सोचने पर मजबूर करती है। उन चीजों को जिसे आज के समाज में देखा जा रहा है। सिर्फ़ देखा ही जा रहा है कुछ किया नहीं जा रहा और कुछ लोगों ने तो आंखें भी बंद कर लिए यह सोच कर कि शायद आंखें बंद कर ले तो वह कुरीतियां घटित ना हो। उदाहरण के तौर पर मॉब लिंचिंग , नफरत और असहिष्णुता ।
7.यह किताब किसी भी तरीके से पाठक को निराश नहीं करेगी। किताब उत्साह से भरपूर है। आप आगे की चीजें जानने के लिए मजबूर हो जाएंगे।
8.पुस्तक में सही जगह पर सही शब्द का प्रयोग किया गए हैं। वाकई इतने मजेदार है किताब में चार चांद लगा देंगे और आपको ना चाहते हुए खुश कर देंगे।
उदाहरण : सुनने वाले ही इतना डरे हुए है कि मेरा बोलना उन्हें साहसिक लगता है ।
मजेदार और अच्छे वाक्यों के प्रयोग का उदाहरण :
1.नौजवान 140 कैरेक्टर की ट्वीट और पावर पॉइंट , मीम की जुबान में ही समझ सकेंगे क्योंकि उनके समझने की क्षमता का इतना ही विकास होने दिया गया है। बात तीखी थी और चुभने वाली भी। इसलिए मुझे ज्यादा चुभी। खासकर ये मीम वाली बात।
सच कड़वा ही होता है कभी तो ऐसा होना ही था जब आप की आंखों से पर्दा हट जाता है ।
2. अंधेरे का फैसला सत्ता करती है सूरज नहीं।
3.आईटी सेल ने तीव्र गति से मीडिया को गोदी मीडिया बनाने में सहायता की है तमाम एंकर, पत्रकार , सत्ता की गोद में बैठकर मोदी चालीसा पढ़ने लगे।
4.जनता जब गलत सूचनाओं या वैकल्पिक हालात के आधार पर अपनी धारणा बना लेती है, तब इंसान होते हुए भी रोए रोबोट की तरह व्यवहार करने लगती है ।
5. आजकल बताया जा रहा है जो विरोधी है वही अपराधी है।
6. तबरेज अंसारी पर हुई मोब लिंचिंग के समक्ष में :
भीड़ का अपना संविधान होता है। अपना देश होता है।वह अपना आदेश खुद गढ़ती है। हत्या के लिए शिकारी खुद चुनती है।
*किताब में बहुत से मुद्दों को उठाया गया है।जिनको शायद सरकार भूल गई थी या जनता को भी याद नहीं था।
जैसे : मॉब लिंचिंग की बात की जाए तो इंस्पेक्टर सुबोध और तबरेज अंसारी।
आतंकवाद
हत्या
अर्थव्यवस्था
लोकतंत्र
स्वतंत्रता
प्रोपेगेंडा
हिंदू मुसलमान की गटर पत्रकारिता
इस किताब को पढ़ने वाले कभी गुमराह नहीं होंगे क्योंकि इस किताब में जिस भी समस्या की बात की गई है उसके लिए रेफरेंस का इस्तेमाल किया गया । कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं बनाई गई ।
Ratings : 4.8 /5 🌟🌟🌟🌟 (अब इतनी सच्चाई भी नहीं लिखनी चाहिए जिसकी लोगों को आदत ना हो😌😑)
Great work
ReplyDeleteThanks 👍
DeleteBhen ♥️ bhot hi bdia
ReplyDeleteThank you amandeep
DeleteMe bhi pdh rhi hu ... behtareen kitaab hai 👌
ReplyDeleteSabko padhni chahiye 👏👏
DeleteWell written
ReplyDeleteThank you shaina😄😄
DeleteGood job saima♥️👍
ReplyDeletePleasure is all mine😇
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